Rang Birangi Diary
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(निर्भया को समर्पित )
चुलबुले से बचपन को, उसने भी जिया होगा.
नटखट शरारतों से सबको परेशान किया होगा.
आशाओं के तिनको से कोई सपना सजाया होगा.
उस लाडली ने मुस्कान से सबको अपना बनाया होगा.
हुए होंगे भाई से झगड़े, प्यार से मनाया होगा.
मां को आराम दिया होगा जब कभी खाना बनाया होगा.
दूर जब रही, जब कुछ थी बन रही, फ़ोन करके बुलाया होगा.
बिदाई के ख़याल ने जब जब पिता को रुलाया होगा.
वो काली रात भी आई थी जब भगवान सोया होगा.
और उस प्यारी से बेटी ने, अपना जीवन खोया होगा.
उस पिता से पूछे कोई उसने क्या क्या सोचा था.
जो नहीं सोचा वही होगा, क्या सोचा था?
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